इतिहास के पन्नों में फील्ड हॉकी खेल की शुरुआत आज से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व मिस्त्र में हुआ था. इसके साथ ही इसका ज्ञात ग्रीस और मिस्त्र की सभ्यताओं में भी लगता है. हॉकी खेल में शुरुआत से लेकर आधुनिक काल तक काफी बदलाव देखने को मिले हैं. आधुनिक काल में हॉकी को उसकी सम्बन्धित कमेटी के नियम और क़ानून के हिसाब से खेला जाता है. हॉकी के नियम और क़ानून कमेटी द्वारा ही निर्धारित होते हैं. जो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ हॉकी के तहत काम करता है. आइए आज जानते हैं हॉकी खेल से जुड़ी तमाम बाते और हॉकी खेल और इसकी संरचना के बारे में जानते है.
जानिए क्या है हॉकी खेल और इसकी संरचना
हॉकी में किसी भी मैच की शुरुआत टॉस द्वारा ही होती है. टॉस जीतने वाली टीम के पास पहले दो क्वार्टर में गोल करने या सेंटर पास के साथ मैच शुरू करने का एक चांस होता है. एक टीम दूसरे टीम के गोलपोस्ट में हिट करने के लिए स्टिक का इस्तेमाल करती है.
फील्ड में क्या होते है माप और उनके प्रयोग
बाकी बात करें हॉकी के नियम की तो वो फुटबॉल से ही समानता रखते हैं. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी के खेल के नियम की जिम्मेदारी अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ की होती है. हॉकी खेल में एक समय सिर्फ हमारे देश भारत का बोलबाला था और हॉकी में भारत का परचम हर जगह लहरा रहा था. वहीं भारत में हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा भी प्राप्त है.
कितने समय में खेला जाता है हॉकी का खेल?
बता दें इस खेल में एक मैच की अवधि 60 मिनट होती है जिसे चार क्वार्टर में खेला जाता है. इस दौरान पहले और तीसरे क्वार्टर के बाद दोनों टीमों को दो मिनट का ब्रेक भी मिलता है. हाफ टाइम के बाफ 15 मिनट का अंतराल भी होता है. इसके बाद हे इंजरी और पेनल्टी कार्नर देने से लेने तक का समय शामिल नहीं किया जाता है.
बता दें साल 2019 से पहले हॉकी में एक मैच 70 मिनट का खेला जाता था. जिसमें 35 मिनट के बाद पांच मिनट ब्रेक के होते थे. वहीं अंपायर भी यह क्लियर करते हैं कि हॉकी मैच कके दौरान किसी भी प्रकार का समय बर्बाद ना हो. हॉकी खेल में पीला और लाल कार्ड इस्तमाल किया जाता है.
पीले कार्ड का मतलब चेतावनी देना होता है जिसमें खिलाड़ को चेतावनी के तौर पर खिलाड़ी को दिखाया जाता है. वहीं लाल कार्ड का मतलब होता है कि खिलाड़ी को मैदान के बाहर भेजना होता है.
फ़ाउल को प्रदर्शित करने का तरीका हॉकी के खेल में?
मैच के दौरान स्ट्राइकिंग सर्किल के अंदर विरोधी टीम का कोई खिलाड़ी फ़ाउल करता है तो सामने वाली टीम को पेनल्टी कार्नर मिलता है. हालांकि आमतौर पर सर्किल के अंदर जब गेंद खिलाड़ी के पैर से छूती है तो उसे पेनल्टी कार्नर मिलता है. यदि स्ट्राइकिंग सर्किल के बाहर कोई गलती होती है लेकिन 23 मीटर क्षेत्र के अंदर तो अंपायर पेनल्टी कार्नर दे सकता है. पेनल्टी कार्नर के दौरान गनक को बैकलाइन पर रखना होता है जो गोलपोस्ट से 10 मीटर की दूरी पर रखा जाता है.
वहीं हॉकी फील्ड और इसकी संरचना में दोनों गोलपोस्ट के आसपास सेमीसर्किल होता है जिसका व्यास 14.63 मीटर होता है. गोल केवल स्ट्राइकिंग सर्किल के अंदर से किए जा सकते है और सर्किल के बाहर से गोल में जाने वाली किसी भी गेंद को गोल में शामिल नहीं किया जाता है. इसके साथ ही गोलपोस्ट की चौड़ाई 3.66 मीटर होती है और क्रॉसबार की ऊंचाई 2.14 मीटर होती है.
हॉकी स्टिक और इसकी गेंद के बारे में जानकारी
फील्ड हॉकी पोजीशन में हॉकी स्टिक की बात करने तो यह लड़की की बनी घुमावदार होती है जो बाईं और सपाट होती है. मैच के दौरान खिलाड़ियों को स्टिक के सपाट हिस्से से खेलने की अनुमति होती है और अगर दूसरे हिस्से से खेलते है तो इसे फ़ाउल ही माना जाता है. और फिर गोल करने की बरी दूसरी टीम की होती है. हॉकी स्टिक की लम्बाई 105 सेंटीमीटर होती है और इसका वज्म 737 ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए. हॉकी गेंद की बात करें तो यह सफेद रंग की होती है और इसका वजन 156 ग्राम होती है और अधिकतम 163 ग्राम भी हो सकता है. और इसकी परिधि 22.4 से 23.5 सेमी तक होती है.
वहीं हॉकी फील्ड और इसकी संरचना में लॉन्ग कार्नर की बात करें तो जब डिफेंडर द्वारा गेंद बैकलाइन पर चली जाती है तो उसे लॉन्ग कार्नर पर दिया जाता है. कार्नर में गेंद को साइड रेखा और गोल को मिलाने वाले कार्नर पर रखकर ही हिट कियया जाता है. बात करें खिलाड़ियों कि तो फुलबैक, विन्गबैक, सेंटरबैक और स्वीपर एक टीम की डिफेंसिव टीम होती है. इनकी मुख्य जिम्मेदारी विरोधी टीम को गोल करने से रोकने करने की होती है.
हॉकी फील्ड में विभिन्न पोजीशन और उसके खिलाड़ी
दूसरी ओर फॉरवर्ड, इनसाइड फॉरवर्ड, विन्गर्स और सेंटर फॉरवर्ड से बने होते हैं और फील्ड हॉकी पोजीशन में इनकी मुख्य भूमिका गोल करना होता है. इस बीच मिडफील्डर, फॉरवर्ड अरु डिफेंडर के बीच एक पूल का काम करते हैं और डिफेन्स के साथ गोल रोकने में मदद करते है.
बात करें टीम के गोलकीपर की तो वह ऐसा खिलाड़ी होता है जो अपने शरीर को गेंद से छू सकता है और गोलकीपर हर समय हेलमेट, बॉडी आर्मर, कीकर और लेग गार्ड जैसे सुरक्षा के उपकरण भी होते है और वह टीम से हटकर अलग रंग की जर्सी पहनता है.