भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पिछड़ रहा था.
हालांकि खेल में लगातार सुधार हो रहा है और वैली की महिला एथलीट
तेजी से अपने विकास की गति बढ़ा रही हैं. पिछले कई
दशकों से युवा अन्य मार्शल आर्ट खेलों के अलावा या तो पेशेवर
क्रिकेटर या फुटबॉल खिलाड़ी बनना पसंद करेंगे. जम्मू और कश्मीर
सरकार केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर हॉकी के लिए
जम्मू-कश्मीर में हो रहा हॉकी का विकास
नए एस्ट्रो टर्फ और बुनियादी ढांचे का निर्माण करके हॉकी खेल
को पुनर्जीवित कर रही है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस कदम से अधिक
कश्मीरी महिलाएं खेल में आ रही है जिससे घाटी में हॉकी का
भविष्य उज्जवल हो रहा है. राइजिंग कश्मीर के साथ बातचीत
में हिमालयी क्षेत्र की कुछ स्टार महिला हॉकी खिलाड़ियों
जिन्होंने राष्ट्रीय क्षेत्र में अपना नाम बनाया है अपने जुनून के बारे में
बात कि और बताया कि वे कश्मीर में खेल को कैसे आकर लेती है.
23 वर्षीय रीबू हसन जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों में से
एक हैं और एक कोच भी हैं. हसन 2014 से हॉकी में हैं क्योंकि वह
हमेशा खेलों में अच्छी रही हैं और अच्छा खेल खेलने की ख्वाईश रखती है.
जब उनके अधिकांश समकालीन ऐसा नहीं करते थे. चुनौतियों के बावजूद
वह मैदान से नहीं हटी और जुडो, कैरम, बॉक्सिंग, बॉल हॉकी कबड्डी, क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेल खेले.
श्रीनगर के बाहरी इलाके के लासजान इलाके की रहने वाली रीबू महिला
कॉलेज एम ए रोड श्रीनगर से स्नातक की पढाई कर रही हैं. उनका दावा है
कि वह कश्मीर डिवीजन की एकमात्र हॉकी कोच हैं. उसने जितने भी
खेल खेले उनमें से उसने पेशेवर हॉकी प्रशिक्षण प्राप्त करना चुना. उन्होंने
नए खिलाड़ियों को मिल रहा हॉकी खेलने और सीखने का मौका
कहा कि मैंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स पटियाला से एक स्पोर्ट्स कोर्स
किया है जिसमें मेरी विशेषज्ञता हॉकी थी. उन्होंने ना केवल विभिन्न प्रकार
के खेलों में अपनी चमक बिखेरी बल्कि दूसरों को सीमाओं को आगे
बढाने और जीवन में उच्च लक्ष्य रखने के लिए प्रेरित करने का भी काम किया.