GPBL 2023: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) द्वारा जारी किए गए सर्कुलर पर रोक लगा दी गई थी, जिसमें बैडमिंटन खिलाड़ियों, कोचों और तकनीकी कर्मचारियों को ‘गैर-मान्यता प्राप्त’ टूर्नामेंट में भाग लेने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी। जिसकी सुनवाई बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम बिटस्पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के बीच हुई
ये भी पढ़ें- BWF World Championships: आज की हेडलाइन होंगे Prannoy और Sen
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का एकपक्षीय आदेश सभी संबंधित पक्षों को सुने बिना पारित किया गया था। जो की बिल्कुल भी सही नहीं है।
इसलिए, शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले पर नए सिरे से फैसला करने को कहा। उच्च न्यायालय से इस मामले पर यथाशीघ्र निर्णय लेने का भी अनुरोध किया गया। जिससे इस यह टूर्नामेंट सही समय पर शुरू हो सके और खिलाड़ी इसमें भाग ले सके।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले जुलाई में संबंधित परिपत्रों पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने बीएआई को परिपत्रों के आधार पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने का आदेश पारित किया, जिससे खिलाड़ियों, कोचों और कर्मचारियों को आगामी ग्रां प्री बैडमिंटन लीग में प्रभावी रूप से भाग लेने की अनुमति मिल गई।
उच्च न्यायालय का फैसला ग्रैंड प्रिक्स बैडमिंटन लीग के आयोजकों द्वारा अप्रैल और जुलाई में बीएआई द्वारा जारी किए गए दो परिपत्रों को चुनौती देने वाली याचिका पर आया था।
GPBL 2023: सर्कुलर में कहा गया है कि खिलाड़ी, कोच और स्टाफ बिना मंजूरी के एसोसिएशन द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होने वाले टूर्नामेंट में भाग नहीं ले सकते। परिपत्रों का उल्लंघन करने वालों को बीएआई के नियमों के तहत कार्रवाई के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना था।
ये भी पढ़ें- World Championships के अंतिम 16 में पहुंची Pearly-M.Thinah
कर्नाटक बैडमिंटन एसोसिएशन द्वारा लाइसेंस प्राप्त लीग को 27 अगस्त से शुरू होने वाले अपने दूसरे सीजन के लिए 450 से अधिक पंजीकरण प्राप्त हुए थे। परिपत्रों के कारण, कई खिलाड़ी इसमें भाग लेने को लेकर संशय में थे। क्योंकि अगर वे ऐसा करते हैं तो उन पर सख्त कार्यवाही हो सकती थी।
आयोजकों के अनुसार, उन्होंने लीग की स्थिति पर स्पष्टता के लिए कई बार बीएआई से संपर्क किया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। चूंकि लीग शुरू होने में केवल एक महीना बचा था, इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने परिपत्र पर रोक लगा दी।
इसके बाद बीएआई ने ऐसी लीगों में भाग लेने की उच्च न्यायालय की अनुमति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शीर्ष अदालत के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, अधिवक्ता अजीम एच लस्कर, बिकास करगुप्ता और चंद्र भूषण प्रसाद के साथ भारतीय बैडमिंटन संघ की ओर से पेश हुए।
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता, अधिवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार, सौम्या दासगुप्ता और अनुपमा धुर्वे के साथ, सिरिल अमरचंद मंगलदास द्वारा ब्रीफ किए गए, निजी लीग आयोजकों की ओर से पेश हुए। लेकिन अब देखना होगा कि इस मामले में अगला फैसला क्या होता है।