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उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में एक होनहार खिलाड़ी है जो आज अपने हॉकी के जुनून को छोड़कर अपनी दुकान पर बैठा है. गोरखपुर के रहने अले खुर्शीद अहमद ने मात्र 13 साल की उम्र में हॉकी को थाम लिया था. वहीं उन्होंने कई कला सीखी थे. हॉकी के फील्ड में जब वह उतरते थे तो मानो लगता था कोई मंझा हुआ खिलाड़ी आया है. वहीं आज उनकी स्थिति यह बन चुकी है की वह पंक्चर की दुकान लगाने पर मजबूर है. इसी तरीके से वह परिवार का गुजारा करते हैं.
पंक्चर की दुकान चलाने को मजबूर खिलाड़ी
बता दें खुर्शीद अपने माँ-पिता के सबसे छोटे लड़के हैं. और वह छह भाई और पांच बहनों में सबसे छोटे हैं. पिताजी की तबियत खराब होने के बाद उन्होंने दूकान पर ही बैठना शुरू कर दिया था. हॉकी खेलने जाते समय भी वह अपनी पिता की मदद किया करते थे. इसके साथ ही उन्होंने अपने खेल को थोडा कम कर दिया था. साल 2008 के बाद वह अपने हॉकी के करियर से दूर जाने लगे थे.
वहीं इसके साथ उन्होंने कई जगह ट्रायल भी दिया है. इसके साथ ही उन्होंने अपने घर की जिम्मेदारी भी सम्भाली थी. वहीं पिता की मौत के बाद उन्होंने सभी जिम्मेदारियों को बखूबी सम्भाला था. वहीं हॉकी के खेल को पीछे छोड़ते हुए वह अपनी हे दुनिया में आगे बढ़ने लगे थे.
उन्होंने अपने खेल का शानदार प्रदर्शन किया था. इसके अलावा उन टीमों में शामिल रहे जिसने जीत दर्ज की. टेकचंद स्कूल के समय से ही हॉकी खेलते आ रहे हैं. उनके पिता दूकान चलाते थे. उन्होंने खुर्शीद की रूचि को देखते हुए हॉकी टीम में भी शामिल कराया था. और वहां उन्होंने हॉकी के बारीक से बारीक गुर भी सीखे थे. पिता के गुजरने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना छोड़ दिया था. इसके बाद उनके परिवार में दुःख का पहाड़ टूट पड़ा. तब से उनकी यह हालत हो चुकी है.