किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कबड्डी का गेम भारत में इतना लोकप्रिय हो जाएगा। सबको यही
लगता था कि कबड्डी गावों में खेला जाने वाला गेम है लेकिन प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के आगाज
के बाद से ही इसका पूरा स्वरूप ही बदल गया। पीकेएल ने कबड्डी को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और
चेन्नई जैसे पांच बड़े शहरों में पहुंचाया। पीकेएल की वजह से भारत को कई स्टार मिले। वहीं हर सीजन
कई नए खिलाड़ी निकलकर इस लीग से सामने आते हैं। वहीं कई खिलाड़ी ऐसे रहे जिनका जीवन
पीकेएल में आने के बाद पूरी तरह से बदल गया। हम आपको पांच ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में
बताते हैं।
पांच ऐसे खिलाड़ी जिनका जीवन पीकेएल की वजह से पूरी तरह बदल गया
नवीन कुमार –
नवीन कुमार के जीवन में प्रो कबड्डी लीग का बहुत बड़ा महत्व है। इस लीग की वजह से ही वो
इतने बड़े प्लेयर बन पाए और हर किसी की जुबां पर बस उनका ही नाम है। नवीन कुमार ने
अपना पीकेएल डेब्यू छठे सीजन में किया था और मात्र तीन सीजन में ही उन्होंने कबड्डी के कई
सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। नवीन कुमार अभी तक पीकेएल में कुल मिलाकर 62 मैचों में
690 प्वॉइंट हासिल कर चुके हैं। उन्होंने अभी तक केवल तीन ही सीजन खेला है लेकिन इस
दौरान टॉप-10 रेडर्स की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं। पिछले सीजन नवीन ने चोट के कारण
कुछ मुकाबले मिस किए थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 17 मैचों में 210 प्वाइंट अपने नाम
किए थे।
पवन सेहरावत –
पवन सेहरावत पीकेएल इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए हैं। 9वें सीजन के ऑक्शन के
दौरान तमिल थलाइवाज ने पवन सेहरावत को दो करोड़ 26 लाख रुपये में खरीदा और पुराने सारे
रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। पवन सेहरावत ने पिछले दो सीजन से लगातार बेस्ट रेडर का अवॉर्ड जीता
था और वो सबसे ज्यादा प्वॉइंट हासिल करने वाले प्लेयर थे। एक साधारण प्लेयर से उठकर पीकेएल
इतिहास का सबसे मंहगा प्लेयर बनने तक का पवन सेहरावत का सफर काफी प्रेरणादायक है।
पीकेएल की वजह से अब वो कबड्डी के एक बड़े सितारे बन चुके हैं।
और कोनसे खिलाडी है –
परदीप नरवाल –
परदीप नरवाल कबड्डी की दुनिया में इस वक्त सबसे बड़ा नाम हैं। वो पीकेएल में सबसे ज्यादा प्वॉइंट
हासिल करने वाले प्लेयर हैं। पीकेएल की वजह से ही आज पूरे देश में वो एक जाने-पहचाने चेहरे बन
गए हैं। पांच साल की उम्र से ही उन्होंने कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था और 12 साल की उम्र में
हरियाणा कबड्डी एकेडमी में दाखिला ले लिया। पहले वो अपने जिले के लोकल टूर्नामेंट में खेलते थे।
यहां पर राम मेहर सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें नेशनल्स में लेकर आए। वहां पर भी
परदीप का परफॉर्मेंस काफी अच्छा रहा। दूसरे सीजन में बेंगलुरू बुल्स के साथ परदीप ने अपना
पीकेएल डेब्यू किया। इसके बाद तीसरे सीजन में वो पटना पाइरेट्स का हिस्सा बने और फिर पीछे
मुड़कर नहीं देखा। पटना की तरफ से खेलते हुए उन्होंने काफी सफलता हासिल की और पीकेएल
के सबसे सफल रेडर बने। आठवें सीजन के ऑक्शन के दौरान उनके लिए एक करोड़ 65 लाख की
बोली लगी थी।
रिशांक देवाडिगा
कबड्डी में आने से पहले रिशांक देवाडिगा को भी काफी आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा था।
अपने फैमिली को सपोर्ट करने के लिए उन्हें अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी। कबड्डी में
करियर बनाने के लिए उन्होंने कॉलेज भी छोड़ दिया। रिशांक को एक सफल कबड्डी प्लेयर
बनाने में उनकी मां का काफी बड़ा योगदान रहा। वो हमेशा उन्हें उत्साहित करती थीं। रिशांक
ने पीकेएल के पहले चार सीजन यू-मुम्बा के लिए खेले और उनकी लाइफ पूरी तरह से चेंज हो
गई। इसके बाद वो यूपी योद्धा चले गए और उनकी कप्तानी भी की। छठे सीजन में टीम ने
उन्हें 1.11 करोड़ में रिटेन किया था।
जीवन पीकेएल की वजह से पूरी तरह बदल गया
काशीलिंग अडके –
महाराष्ट्र के खेतों में काम करने से लेकर फैंस के साथ सेल्फी लेने तक काशीलिंग अडके का जीवन
पूरी तरह से पीकेएल की वजह से चेंज हो गया। उन्हें 2014 में पहली बार दबंग दिल्ली की तरफ से
खेलने का मौका मिला और देखते ही देखते वो कबड्डी के बड़े सितारों में से एक बन गए। पीकेएल में
आने से पहले काशीलिंग अडके गन्ने की फैक्ट्री में काम किया करते थे। वो एक रेसलिंग फैमिली से
आते हैं लेकिन उनकी दिलचस्पी हमेशा कबड्डी में ही रही। वो अपने स्कूल के दिनों में भी कबड्डी खेला
करते थे। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ ट्रॉयल के बाद उनके लिए सबकुछ बदल गया। अपने
पहले ट्रायल में वो सेलेक्ट नहीं हुए थे लेकिन अगली बार उनका चयन हो गया। पीकेएल में कमाए
पैसों से काशी ने नया घर बनाया।