अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ हॉकी खिलाड़ियों के लिए सुरक्षा को लेकर गम्भीरता से विचार कर रहा है. खासकर पेनल्टी कॉर्नर ड्रैग फ्लिकर खिलाड़ियों के लिए सुरक्षा को लेकर काफी विचार किया जा रहा है. FIH के अध्यक्ष तैयब इकराम ने कुछ दिल पहले विश्वकप आयोजन के दौरान राउरकेला में कहा था कि, ‘विश्व निकाय उच्च गति की गेंद को रोकने वाले खिलाड़ियों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने लिए अलग नियमों पर विचार किया जा रहा है. सह पेनल्टी कॉर्नर हिट से सम्बन्धित नियमों में बदलाव पर भी अध्ययन किया जा रहा है. लेकिन भारतीय खिलाड़ी रोहिदास को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
रोहिदास को नहीं चाहिए कोई भी सुरक्षा
बता दें इकराम ने साफ़ कर दिया था कि FIH फ्लिक से गेंद की गति धीमे करने के बारे में नहीं सोच रहा है. उन्होंने कहा कि गेंद के सर्किल में प्रवेश करने से पहले आक्रमण करने वाली टीम को गेंद पर प्रहार का एक या दो और अधिक मौका देने का समाधान खोजना चाहिए. इससे टीम को प्रतिक्रिया करने का अधिक समय मिल सकेगा.
वहीं इस नियम में बलाव इ बारे में जब भारतीय टीम के उपकप्तान अमित रोहिदास से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘FIH अध्यक्ष ने क्या कहा मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं भारतीय टीम में सबसे पहले दौड़ने वालों में से रहा हूँ. टीम जो भी और जब भी चाहे मैं पहला तेज रनर बन सकता हूँ. मुझे इसमें कोई समस्या नहीं है.’
बता दें चल रहे विश्वकप में स्पेन के खिलाफ जब भारत ने तीन पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए थे. तब उन सभी में रोहिदास ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने मोर्चा सम्भाला था. और इतना ही नहीं उनके नेतृत्व में भारत ने तीनों पेनल्टी कॉर्नर में एक भी गोल खुद कसे विरुद्ध नहीं होने दिया था. और यह मुकाबला 2-0 से अपने नाम कर लिया था.
बता दें उस मैच में रोहिदास ने एक गोल भी किया हा. उन्होंने पेनल्टी कार्नर के रिबाउंड को गोल में डालकर टीम को शानदार सफलता भी दिलाई थी. इतना ही नहीं इंग्लैंड के मैच में भी उन्होंने आठ पेनल्टी कॉर्नर का बचाव किया था. और इसमें अमित रोहिदास की भूमिका बेहतरीन रही थी.
रोहिदास काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं और वह अब तक भारत के लिए 133 मैच खेल चुके हैं.