शतरंज खेलते वक्त फेस मास्क पहनने से शतरंज खिलाड़ियों के निर्णयों की क्वालिटी काफी कम हो
जाती है , ये एक ऐसा प्रभाव है जो काफी कम समय के लिए होता है पर मजबूत खिलाड़ियों को ये
सबसे ज्यादा परेशान करता है | व्यवहार और विकास के economist GM डेविड सार्मडन द्वारा
खुद इस बात का अध्ययन किया गया है जिसके बाद उन्होंने निष्कर्ष निकाला था |
Smerdon ने किया इतने टूर्नामेंटों का डाटा एकत्र
अपने अध्ययन के लिए, Smerdon ने महामारी के दौरान हुए 70 से भी ज्यादा शतरंज टूर्नामेंटों का डाटा एकत्र किया था जिनमें मास्क आवश्यक थे , इसी के साथ उन्होंने बिना मास्क के खेले गए 140 टूर्नामेंटों का भी मिलान किया था उन्ही खिलाड़ियों के बड़े ओवरलैप के साथ | कुल मिलाकर उन्होंने पूरे 18 देशों में 8 हज़ार से अधिक लोगों द्वारा खेली गई लगभग तीन मिलियन शतरंज चालों का विश्लेषण किया और पाया की मास्क ग्रंड्मास्टर लेवल के प्लेयर्स को ज्यादा प्रभावित करता है |
मजबूत खिलाड़ियों को ज्यादा प्रभावित करते है मास्क
शतरंज से संबंधित पहले के अध्याननों में भी मजबूत शतरंज खिलाड़ियों के लिए हाई वर्किंग मेमोरी का ग्रहण किया गया था , इसके आधार पर Smerdon ने तीन अलग-अलग तरीकों से एक खोज निकाला की मास्क पहन कर खेलना मजबूत खिलाड़ियों को ज्यादा प्रभावित करता है और उनके सोचने की क्षमता को थोड़ा कम कर देता है , इससे उनकी शतरंज परफॉरमेंस काफी खराब हो जाती है वही average खिलाड़ियों पर इसका कोई नकरात्मक प्रभाव नहीं होता है |
महामारी के दौरान कीये गए थे मास्क इस्तेमाल
प्लेयर्स के प्रदर्शन में कमी आना शारीरिक mechanism के बजाए मास्क के कारण होने वाली झुंझलाहट की वजह से होती है हालांकि लोगों को इस व्याकुलता की जल्द ही आदत हो गई थी , मास्क का प्रभाव उसके प्रकार , कार्य के समय और मेमोरी लोड पर भी निर्भर करता है | फेस मास्क का इस्तेमाल COVID-19 महामारी में काफी महत्वपूर्ण था और पूरे विश्वभर में इस्तेमाल किया गया था |