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मध्यप्रदेश के दमोह में एक खिलाड़ी है जो काफी मेहनत और मजदूरी करके ही जीवन यापन कर रहे है. एमपी सरकार खिलाड़ियों को को लेकर काफी कुछ योजना चला रही है. कई घोषणा कर रही है कि उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए काम किया जाए. ऐसे में दमोह जिले के गांव तेजगढ़ में कबड्डी का एक राष्ट्रीय खिलाड़ी मजदूरी कर जीवन यापन कर रहा है. ऐसे में वह जैसे-तैसे ही दो वक्त की रोटी मुहैया कर रहा है. इससे उसका जीवन गुमनामी में चला गया है.
दमोह के कबड्डी खिलाड़ी विजय की बेकार हालत
शासन के पास कोई ऐसी योजना नहीं है जो इनकी हालत को सुधार सके. इससे खिलाड़ियों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. हम बता दें कि तेजगढ़ में रहने वाले 35 साल के कबड्डी खिलाड़ी विजय पिता सुखदयाल बसोर को दो रोटी पाने में भी काफी मुश्किल हो रही है. विजय ने साल छह साल से ही कबड्डी खेल को शुरुआत कर दी थी. उन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी भाग लिया था. वहीं साल 1999 में पहली बार उन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया था.
इसके बाद उन्होंने साल 2000 में बिलासपुर में, साल 2001 में ग्वालियर में उसके बाद साल 2003 में दमोह में भाग लिया है. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उनके टीम विजेता भी रही थी. इसके साथ ही उन्होंने नेशनल भी खेला था. वहीं रायपुर में उन्होंने इस टूर्नामेंट में भाग लिया था. इसके साथ ही उनकी टीम तीसरे स्थान पर रही थी. इसके बाद उन्होंने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी भाग लिया था.
बता दें इस खिलाड़ी को इसके बाद कोई पहचान नहीं मिली थी. जिसके बाद यह दाने-डेन को मोहताज हो गया था. वहीं इसके बाद इन्होने मेहनत और मजदूरी कर परिवार का पालना शुरू किया था. वहीं इसके साथ ही खिलाड़ी को राज्य सरकार से कोई सहायता नहीं मिल रही है.
