हॉकी की दुनिया के जादूगर ध्यानचंद को कौन नहीं जनता है.
दो दिन पहले ही उनका जन्मदिवस निकला है जो पूरे
भारत ने राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया था.
मेजर ध्यानचंद के बारे में यह तो सभी को पता है कि
वह हॉकी में कितने माहिर थे पर यह बात कम ही लोगों को
पता होगी कि हॉकी के साथ-साथ वह क्रिकेट में भी माहिर खिलाड़ी थे.
जब-जब भी ध्यानचंद ने बल्ला थामा था तब-तब उन्होंने रनों की बौछार की थी.
बता दें बात साल 1961 की है जब ध्यानचंद राजस्थान के माउंटआबू में हॉकी की ट्रेनिंग दे रहे थे.
हॉकी ग्राउंड के पास ही क्रिकेट की भी ट्रेनिंग का कैंप चल रहा था. तब ध्यानचंद भी
वह अचले गए. तब वह के कोच ने उन्हें खेलने का ऑफर किया.
क्रिकेट में भी माहिर थे जादूगर ध्यानचंद
तो उन्होंने बिना ग्लव्स और पैड पहने ही खेलने शुरू किया.
तब ध्यानचंद को 5-6 तेज गेंज्बाजों ने गेंदे फेंकी तो उन्होंने ऑनसाइड और
ऑफसाइड पर तगड़े शॉट मारे. उस दौरान ध्यानचंद ने 50 से 60 बॉल
खेली होगी लेकिन उन्होंने तब एक भी बॉल स्लिप में या विकेटकीपर के पास नहीं जाने दी.
तब उनसे किसी ने पुछा कि सर आपने विकेटकीपर की तो जरूरत को ही खत्म कर दिया
एक भी बॉल उस तक नहीं जाने दी. तब ध्यानचंद ने कहा कि जब में 2 इंच चौड़े हॉकी
स्टिक से हे गेंद को अपने पीछे नहीं जाने देता तो यह 8 इंच के चौड़े क्रिकेट के बल्ले से गेंद को कैसे पीछे जाने देता.
उनकी यह बात सुनकर ही पता लगता है की ध्यानचंद किसी भी खेल को कितनी लगन
हर खेल के प्रति थे निष्ठावान
और शिद्दत के साथ खेलते थे. खेल कोई सा भी ध्यानचंद उसका पूरा सम्मान करते थे.
और दूसरों को भी खेल खेलने की प्रेरणा देते थे. इतना ही नहीं आर्मी में होने के नाते
उनमें देशप्रेम भी कूट-कूटकर भरा हुआ था. ध्यानचंद के नेत्रित्व में भारत ने लगातार तीन बार स्वर्ण पर कब्जा किया था.