छत्तीसगढ़ में खेलों का स्तर सुधारने के लिए काफी कुछ किया जा रहा है. खेल विभाग ने विगत आठ सालों में 4 खेलों की 7 अकादमियां शुरू की है. रायपुर में हॉकी और अन्य खेलों के लिए डे-बोर्डिंग अकादमी के साथ ही बिलासपुर एथलेटिक्स की बोर्डिंग अकादमी भी शुरू की गई थी. इन सभी को मिलाकर साल 2015 से अब तक कुल 55 करोड़ रुपए का फंड मिला लेकिन 10 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए थे. नतीजा यह हुआ कि पिछले आठ साल में छत्तीसगढ़ से किसी भी खेल में एक भी खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में तो दूर नेशनल कैंप तक भी नहीं पहुंच सका है.
छत्तीसगढ़ में हॉकी अकादमी का बुरा हाल
हॉकी खेल के लिए इंडिया टीम के कोच रहे वाई एस चौहाल का चयन अकेडमी में हुआ था. इनके साथ ही एक-एक सहायक कोच भी इनके लिए नियुक्त किया गया था. हॉकी के कोच ने पांच महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया था. वहीं उनकी जगह रायपुर के कोच को भेजा गया था लेकिन अभी तक सात साल गुजर चुके हैं लेकिन एक भी खिलाड़ी नेशनल के लिए चयनित नहीं हो सका है.
जब खेल विभाग की अकादमी इंचार्ज अवन्तिका गुप्ता से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘कोच और अन्य स्टाफ की नियुक्ति के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरु कर दी गई है. अकादमी की जरूरतों के हिसाब से इक्विपमेंट भी मंगाए जा रहे हैं. खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए भी काम किया जा रहा है.’ बता दें साल 2015 से 2021 तक छह साल में रायपुर की हॉकी अकादमी के लिए खेल विभाग ने करोड़ों रूपए का बजट दिया था. इसमें से कुछ ही करोड़ रुपए काम में आए है बाकी की रकम लेप्स हो गई थी. बता दें अकादमी में हॉकी के दो सौ से ज्यादा बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं. लेकिन एक भी खिलाड़ी बड़े स्तर पर पहुंचने में सफल नहीं हो सका है.
बता दें ऐसे तो कई खिलाड़ी और युवाओं का भविष्य अन्धकार में जा रहा है. अगर खेल विभाग और अकादमी ने सुध नहीं ली तो छत्तीसगढ़ में खेलों का उदय नहीं हो पाएगा.