भारत में शतरंज को धीरे-धीरे और भी ज्यादा लोकप्रियता मिलती जा रही है वो भी हमारे देश के कई
युवा खिलाड़ी जैसे अर्जुन , प्रज्ञाननंद , गुकेश , अर्णव आदि की वजह से , इन खिलाड़ियों ने पिछले
कुछ सालों में विश्वभर में अपने शतरंज के खेल का शानदार प्रदर्शन कर देश का काफी नाम रोशन
किया है इनमें से कई खिलाड़ी तो विश्व चैम्पीयन मैग्नस कार्लसन को भी मात दे चुके है ,अब भारत के
कोने-कोने में शतरंज काफी प्रसिद्ध खेल बन गया है |
अब से स्कूलों में खेला जाएगा शतरंज
राजस्थान की सरकार ने ये घोषणा की है की 19 नवंबर इंदिरा गांधी जयंती के दिन से महीने के हर तीसरे शनिवार को स्कूलों में शतरंज को खेल के रूप में एक ऐक्टिविटी की तरह खेला जाएगा | यानि 60000 से ज्यादा स्कूलों के बच्चे अब शतरंज को एक स्पोर्ट ऐक्टिविटी की तरह खेलेंगे ,सोमवार को शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने एक इंटरव्यू के दौरान ये खुद कहा |
Dr कल्ला ने कही ये बात
Dr कल्ला जिनके पास संस्कृत, साहित्य, कला और संस्कृति विभाग भी हैं उन्होंने ये भी कहा की मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के लिए ‘Khel Grant’ योजना के तहत शतरंज बोर्ड और अन्य आवश्यक खेलों को खरीदा गया था | छात्रों लप शतरंज के खेल के बारे में जानने के बाद शिक्षा विभाग जिला और राज्य पर शतरंज प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा , राज्य चाहता है की भविष्य में छात्र अपने पेशे में शतरंज के ग्रंड्मास्टर भी बने |
बीकानेर के स्कूल में किया इसका आरंभ
कल डॉ कल्ला ने खुद ‘स्कूल में शतरंज’ खेल का बीकानेर के रमेश इंग्लिश मीडियम स्कूल में 66 वीं जिला स्तरीय स्कूल खेल प्रतियोगिता के दौरान शुभारंभ किया था और उन्होंने इस खेल को खेला भी था | जिन बच्चों को बचपन से ही शतरंज खेलना पसंद है उनके लिए काफी अच्छा मौका है स्कूल में ही अपने खेल को और भी बेहतर करने का और आगे जाकर फिर वो बड़ी प्रतियोगिताओं में भी भाग ले सकते है |
ये भी पढ़े :- Edinburgh Chess Club को पुरे हुए 200 साल