Brentford ने 84 साल के बाद लिवरपूल पर जीत हासिल कि, लिवरपूल के लिए ये मैच बुला देने वाला मैच मे से एक रह गया है। जहाँ कोनाते के खुद के गोल ने brenford के लिए शुरुआत कि थी और कुछ बुरी डेफेन्डिंग का असर भी दिखा। पर वही brentford के लिए ये मुकाबला सबसे यादगार मुकाबले मे से एक रहेगा क्यूँकि 1938 के बाद brentford ने लिवरपूल के उपर ये उनकी पहली जीत है।
लिवरपूल का भाग्य बहुत ही खराब दौर पर
लिवरपूल ने अपना आखरी मैच बड़े ही शानदार तरीके से जीता था। वे इस मुकाबले मे भी वही जोश के साथ उतरे थे। और वेसे भी brentford का रेकॉर्ड लिवरपूल के सामने कुछ खासा अच्छा नही था। पर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था, मैच कि शुरुआत से दोनो टीम ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया तो पर वो पैना पन नही नज़र नही आ रहा था। कोनाते कि किस्मत भी वोउट फ़से कि तरह थी जहाँ उन्होंने गलती से खुद के गोल पर गेंद दाग दिया था।
वही गलती लिवरपूल के कोनाते ने भी कर दी जहाँ गोल बचाने के चक्कर मे पाँव को घुमाने के वजह से गेंद सीदा नेट पर चली गई जहाँ उन्होंने खुद गोल स्कोर कर दिया। ये लिवरपूल के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो गया था। फिर खेल के 42 वे मिनट मे वीज़ा ने जेन्सों द्वारा भेजे गए क्रॉस को गोल मे तकदील करके स्कोर को 2-0 करके लीड को आगे बड़ा दिया था। लिवरपूल ने पहले ही हॉफ मे 2-0 के गोल से पीछे थी।
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आज उनकी तरफ से बहुत गलतियाँ हो रही थी जिस कारण से वे आज 2-0 से पीछे हो गए थे। पहले हॉफ के बाद दूसरे हॉफ मे लिवरपूल ने वापसी करने कि कोशिश कि जो उसमे माहिर है। और कुछ ऐसा ही हुआ 50 वे मिनट मे चैंबर्लिया के द्वारा लिवरपूल ने अपना पेहला गोल हासिल किया था। ऐसा लग रहा था कि इस बार भी लिवरपूल कि शानदार वापसी होगी पर ऐसा कुछ नही हो पाया।
इस बार लिवरपूल अपनी गलतियाँ दौराते गए जिस कारण वे दूसरे गोल के चक्कर मे ज्यादा विथड्रॉअल खेल रहे थे। जिस कारण से brentford को 84 वे मिनट मे गेम सेट गोल मिल गया था जो म्बेम्युओ की द्वारा किया गया था। पर इस गोल के लिए कही विवाद भी हुआ पर गोल माना गया। इस मैच के बाद brentford ने इतिहास रच दिया।