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भारतीय हॉकी में कई दिग्गज खिलाड़ियों ने अपनी हिस्सेदारी दी है. इनमें से कुछ खिलाड़ियों ने देश को कई प्रतियोगिताओं में जीतने में अपनी भूमिका निभाई है. इससे में भारतीय टीम में एक दिग्गज खिलाड़ी हुए जिन्होंने गोलकीपर शुरू में बने थे. लेकिन बाद में उन्होंने सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाई थी. साल 1948, 1952 और 1956 में उन्होंने टीम का साथ निभाया था. वहीं ओलम्पिक गोल्ड में उन्होंने अपना शानदार प्रदर्शन किया था.’
बलबीर सिंह ने भारतीय टीम को दिलाई अहम मौकों पर जीत
बलबीर सिंह का जन्म पंजाब के स्वतंत्रता सेनानी के घर हुआ था. उन्होंने बाल्यावस्था में ही हॉकी खेलना शुरू किया था. वहीं 12 साल की उम्र में ही उन्होंने हॉकी को अपने जीवन में उतार लिया था. औरुनका निर्णय यही था कि वह आगे चलकर भारतीय टीम के लिए हॉकी जरुर खेलेंगे.
उन्होंने टीम में गोलकीपर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. फिर वह बेक फॉर के लिए खेलने लग गए थे. उनके हुनर का अंदाजा तभी हुआ था. इसके बाद उन्हें अपनी अलग पहचान मिली थी. इसके साथ ही उन्होंने 1958 में खेले गए एशियन खेलों में भी शानदार प्रदर्शन किया था. उस समय टीम ने रजत पदक जीता था. बता दें उन्हें भारत सरकार द्ववारा पद्म श्री अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है.
सबसे ख़ास बात यह है कि वह 1957 में चौथे सबसे सर्वोच्च अवार्ड पाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे. इसके साथ ही उन्होंने कई सालों तक पंजाब खेल विभाग के लिए काम किया था. इसके साथ ही वह भारतीय हॉकी टीम के लिए कोच की भूमिका भी निभाई थी. वह उस समय टीम के कोच थे जब टीम ने पहली बार विश्वकप जीता था. इतना ही नहीं उन्हें विश्व का बेहतरीन खिलाड़ी माना जाता है.
उनकी गिनती ध्यानचंद समेत अन्य महान खिलाड़ियों में की जाती है. इसके साथ ही खिलाड़ियों को बहुत मार्गदर्शन मिलता है. और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.