कबड्डी भारत का सबसे पुराना खेल है. पहले यह खेल गांव-ढाणी तक काफी प्रसिद्द था लेकिन अबी अब यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी ख्याति प्राप्त कर चुका है. कबड्डी का खेल उत्तर भारत में काफी जाना जाता है. माना जाता है कि कबड्डी का खेल वैदिक काल से प्रचलित है. और कहा ये भी जाता है कि इस खेल का जन्म भारत में ही हुआ है. आधुनिक काल में जहां भारत में क्रिकेट समेत अन्य खेलों ने जगह बना ली ऐसे में कबड्डी भी अपनी पहचान बना चुका है. भारत में कबड्डी के चार प्रकार प्रचलित है.
कबड्डी के चार प्रकार को भारत में खेले जाते हैं
बता दें कबड्डी काफी तरीके से खेली जाती है. इसमें एक टीम में सात खिलाड़ी है और एक मैच में दो टीमें भाग लेती है. एक टीम से एक बार में एक रेड करने के लिए खिलाड़ी दूसरे विरोधी पक्ष में जाता है जहां उसे खिलाड़ी को आउट कर आना होता है.
बता दें भारत में कबड्डी फेडरेशन के मुताबिक़ कबड्डी को चार तरीके से खेला जाता है.
संजीवनी स्टाइल कबड्डी में विरोधी टीम के एक प्लेयर के आउट होने पर दूसरी टीम का एक प्लेयर वापिस आ जाता है. ये खेल 40 मिनट तक चलता है जिसमें दोनों हाफ के बीच पांच मिनट का ब्रेक होता है. हर टीम में सात खिलाड़ी होते है और दूसरी टीम के सभी खिलाड़ी होने पर चार पॉइंट्स मिलते हैं.
वहीं गामिनी स्टाइल कबड्डी में एक टीम में सात खिलाड़ी होते है और अगर खिलाड़ी आउट हो जाता है तो वह तब तक वापिसे कोर्ट में नहीं आता जब तक उसकी पूरी टीम ऑलआउट ना हो जाए. इस खेल की कोई सीमा नहीं होती है.
तीसरी प्रकार की कबड्डी अमर स्टाइल कबड्डी होती है जिसमें भी कोई सीमा नहीं होती है. लेकिन इसमें आउट होने वाला खिलाड़ी खेल में रहता है अरु एक टैग होने पर एक पॉइंट मिलता है.
चौथी और आखिरी प्रकार की कबड्डी होती है सर्किल स्टाइल कबड्डी जिसकी शुरुआत पंजाब में हुई थी. राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे खेला जाता है. पंजाबी कबड्डी को कबड्डी विश्वकप और वर्ल्ड कबड्डी लीग जैसे इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भी इस्तेमाल किया जाता है.