भारत क्यूँ FIFA वर्ल्ड कप मे भाग नही लेता, फुटबॉल का रंगमंच और उमंग सभी देशो मे छाया रहता है, ऐसे कही देश है जो फुटबॉल वर्ल्ड कप का इस्सा कही दशको से बनी हुई है, जैसे अर्जेंटीना, ब्राज़ील जैसे देश अपनी भागेदारी दे रहे है। पर ऐसे कुछ देश है जो वर्ल्ड कप मे कभी इस्सा नही लिए है या किसी कारण से उन्हे फीफा द्वारा निकाल दिया गया है। ऐसा ही एक देश है अपना भारत, कहा जाता है 1950 के दशक मे भारत ने फुटबॉल वर्ल्ड कप मे भाग लिया था, लेकिन कुछ कारणों के कारण FIFA ने भारत को वर्ल्ड कप से बाहर किया।
भारत मे फुटबॉल का अध्यन
भारत में फुटबॉल की एक बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है जो अपने देश को वर्ल्ड कप में खेलते हुए देखना चाहती है। लेकिन इस बार फिर, भारत कतर फीफा विश्व कप 2022 में नहीं खेला क्योंकि वे एशियाई विश्व कप क्वालीफायर के दूसरे राउंड में बाहर हो गए थे और ग्रुप ई में सात अंकों के साथ तीसरे स्थान पर थे।भारत में फुटबॉल काफी लोकप्रिय है और भारत के कई राज्यों में क्षेत्रीय शासी निकाय हैं क्योंकि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ से संबद्ध 37 राज्य संघ हैं।
भारतीय फुटबॉल ने एक लंबा सफर तय किया है और विभिन्न फुटबॉल क्लबों और फ्रेंचाइजी ने हाल के दशकों में दुनिया के सबसे पसंदीदा खेल के रूप में बड़ा बदलाव देखा है। जो सायद आने वाले पीढ़ियों को इस खेल के प्रति और ज्यादा प्रकोप दे पाए और उन्हे सही दिशा दे सके।
भारत पर क्यूँ लगाया गया निलंबन
हाल ही में फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) ने अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) को निलंबित कर दिया है। फीफा द्वारा एआईएफएफ के प्रबंधन में अनुचित तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के संदेह के बाद अचानक निलंबन आया, जो फीफा के नियमों का उल्लंघन है। हालांकि, कुछ दिनों बाद यह प्रतिबंध हटा लिया गया, लेकिन तब भी यह मामला भारत के लिए बेहद शर्मनाक था।
ये बात है 2006 जहाँ FIFA के प्रेसिडेंट सेप ब्लैटर ने कहा भारत जैसे देश मे फुटबॉल और उनके खिलाडियों मे बहुत ही शमता है, जिसे बाहर निकालने की आवश्यकता है।हाल के वर्षों में भारी बदलाव हुए हैं, लेकिन ब्लू टाइगर फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे हैं।भारत के युवा खिलाड़ी घरेलू लीग में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और भले ही उन्होंने दिल जीत लिया हो, और अपने मैचों में भारी भीड़ को आकर्षित किया हो, लेकिन तथ्य यह है कि भारतीय फुटबॉल को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, इससे पहले कि वह लीग में खेलने का दर्जा हासिल कर सके।
आखिर 1950 के वर्ल्ड कप मे भारत के साथ क्या हुआ
1950 के दशक मे भारतीय टीम फुटबॉल बर्मा, फिल्पिएंस ने क्वालीफाई होने पर भी अपना नाम वापस ले लिया था जिस कारण से भारत क्वालीफाई हो गया था। भारत ने ब्राज़ील का दौरा किया इसके लिए। ये सवाल आज भी उठता है कि उस समय ऐसा क्या हुआ भारतीय फुटबॉल टीम के साथ जो वो बाहर हुए, क्यूँकि भारतीय खिलाडी नंगे पाँव खेलना चाहते थे।
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जिसके लिए उन्हे अनुमति दी गई थी, FIFA ने उस समय इस पर कोई आपत्ति नही जताई थी। पर उस समय भारतीय फुटबॉल का पुरा सेट अप नही बना था, जिससे वो ब्राज़ील जा सकते थे।1950 से 60 मे भारतीय टीम का स्वर्णिम समय था। जहाँ उन्होंने ओलंपिक मे चौथा स्थान हासिल किया था। 1964 मे एशिया कप के फाइनल मे भी पहुँचे थेथे। लेकिन 1954 मे हुए fifa वर्ल्ड कप क्वालीफायर मे भारत का नाम नही लिया गया था। 1958 से 1984 मे भारत का नाम को बिल्कुल नही लिया गया था।
भारतीय फुटबॉल का नया आगाज़
सुनील छेत्री के नेतृत्व वाली भारतीय फुटबॉल टीम क्वालीफाइंग चरण के दूसरे राउंड में बाहर हो गई थी। भारत फीफा की आधिकारिक रैंकिंग में 106वें स्थान पर है और यहां तक कि टॉप सौ में स्थान हासिल करने में भी विफल रहा है। बहुत से लोगों का मानना है कि भारत के FIFA वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई नहीं करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में फुटबॉल उतना लोकप्रिय नहीं है जितना कि क्रिकेट।
लेकिन ये बात भी बहुत सच है कि भारतीय टीम को अभी बहुत दूरी तय करनी है। 2026 के फुटबॉल वर्ल्ड कप मे 48 टीम भाग लेने जा रही है। जिसमे 9 स्लॉट एशिया टीम को दिया गया है, जिसमे भारत को मौका मिलने की आशा बहुत ही ज्यादा दिख रही है।कई लोग फुटबॉल से ज्यादा क्रिकेट को त्वजु देते हैं, इसलिए प्रतिभा को पहचान नहीं मिलती। भारतीय फुटबॉल टीम सर्वश्रेष्ठ में से एक बनने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है लेकिन कम मीडिया कवरेज और अनुचित प्रायोजन भारतीय टीम के खेल में एक बड़ा कारक बन रहे हैं।
भारत मे फुटबॉल के लिए सही व्यवस्ता नही है
भारत में फुटबॉल के विकास में बाधा पैदा करने वाले दो सबसे बड़े कारक बुनियादी ढांचे की कमी और दूर दृष्टि हैं। भारत में गुणवत्तापूर्ण फुटबॉल स्टेडियम का अभाव है। भारत के कुछ सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय क्लबों में उचित प्रशिक्षण और चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं।दिल्ली जैसी जगहों और अन्य राज्यों में जहां यह खेल काफी लोकप्रिय है।
सरकार को नए फुटबॉल केंद्र स्थापित करने और नवोदित प्रतिभाओं को प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है। भारत में, भारतीय भौगोलिक क्षेत्र के आकार और फैन फॉलोइंग की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाले फुटबॉल स्टेडियम कम संख्या में हैं।भारत में 30 मिलियन से अधिक दर्शक यूरोपीय फुटबॉल लीग देखते हैं इसलिए यह उचित समय है कि भारतीय फुटबॉल को जमीनी स्तर पर बढ़ावा दिया जाए।
खेल का अच्छा प्रोमोशन
भारत मे भी फुटबॉल का प्रोमोशन अब जोरों से चलने लगा है, जहाँ आइएसएल ने स्तर को बहुत ही बड़ा दिया है।भारत को हमेशा एक क्रिकेट देश के रूप में जाना जाता है। FIFA में भारत की खराब रैंकिंग का एक प्रमुख कारण खेल के बारे में उचित सुविधाओं और जागरूकता की कमी है।AIFF वैश्विक मंच पर फुटबॉल को बढ़ावा देने में किसी तरह विफल रहा है।आईएसएल (इंडियन सुपर लीग) के आगमन ने जनता के बीच फुटबॉल में नए सिरे से दिलचस्पी दिखाई है। भारत में, गोवा, केरल, मणिपुर और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में फुटबॉल लोकप्रिय है, लेकिन अधिकांश आईएसएल क्लबों में उचित प्रशिक्षण सुविधाएं और अकादमियां नहीं हैं, जिसमे बदलाव की ज़रूरत है।