पूरे विश्व में हॉकी सबसे प्रसिद्ध खेलों में से एक है दुनिया भर के 100 से ज्यादा देश हॉकी को खेलते हैं हालांकि भारत में हॉकी को राष्ट्रीय खेल कहा जाता. विश्व भर में तमाम हॉकी (Hockey Player Field) के प्लेयर हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से कई बड़ी उपलब्धियां अपने नाम की हैं जिनको पूरी दुनिया जानती है, भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद को हॉकी के इतिहास में विश्व का सबसे बड़ा खिलाड़ी कहा जाता हैं (Best Field Hockey Player in World) और उन्हें भारत में हॉकी का पिता भी बोला जाता है.
विश्व भर में यह माना जाता है की फील्ड हॉकी एक आयरिश खेल हर्लिंग और इसके स्कॉटिश संस्करण शिंटी से लिया गया था जो 1272 ईसा पूर्व में बहुत ही लोकप्रिय खेल हुआ करते था. फिर चीन के मंगोलियाई लोग इस खेल को बेइकोउ नाम से लगभग 1000 वर्षों तक खेलते रहे.
चिल्ली के यूरोपीय आक्रमणकारियों ने भी इस खेल का एक नए तरीके से खेला जिसका नाम उन्होंने Chueca Or The Twisted One रखा, फिर यह खेल 16वी शताब्दी के आसपास रात अराकानो भारतीयों द्वारा खेला जाने लगा तब से इस खेल ने दुनिया भर में खूब सुर्खियां बटोरी और सबसे ज्यादा खेले जाने वाले खेलों में अपना स्थान बना लिया.
आज हम आपको फील्ड हॉकी के कुछ ऐसे महान खिलाड़ियों (Best Hockey Player Field in History) के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने शानदार खेल से लोगों के दिलों में जगह बनाई और बेहतरीन प्रदर्शन से हॉकी के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया.
1- मेजर ध्यान चंद (Major Dhyan Chand)
फील्ड हॉकी के खिलाड़ियों (Field Hockey Player) की जब बात हो और भारत के महान फील्ड हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद (Best Hockey Player Dhyanchand) का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता, भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को हॉकी के इतिहास में सबसे महान फील्ड हॉकी खिलाड़ी माना जाता है (Best Hockey Player in History).
हॉकी प्रशंसक ध्यानचंद को ओलंपिक इतिहास का सर्वश्रेष्ठ एथलीट भी मानते हैं उनके करियर के दौरान फील्ड हॉकी में भारत सबसे प्रभावशाली टीम रही थी. उन्होंने 1928 से 1936 तक लगातार 3 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते थे.
ध्यानचंद ने अपने करियर 1926 से 1948 तक 1000 से अधिक गोल भी किए थे और इसके लिए उन्हें ‘द विज़ार्ड’ उपनाम से नवाजा गया था. उनकी जादुई हॉकी स्टिक ने ओलंपिक में अन्य स्थानों के दर्शकों को हॉकी मैदान की तरफ आकर्षित किया था. इस पर जर्मनी के एक अखबार ने कवर पेज पर शीर्षक दिया था जिसमे कहा गया था कि “ओलंपिक परिसर में अब एक जादू का शो भी है”.
मेजर ध्यानचंद के बारे में एक इंटरेस्टिंग फैक्ट यह भी है कि अडोल्फ हिटलर उनके खेल से इतना प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपनी नाजी सेना में कर्नल का पद ऑफर कर किया था लेकिन ध्यानचंद ने उसे ठुकरा दिया था. यहां तक की नीदरलैंड के अधिकारियों ने एक बार मैच से पहले उनकी हॉकी स्टिक तक तोड़ दी थी उन्होंने ऐसा इसलिए किया था कि वह जांचना चाहते थे कि कहीं हॉकी स्टिक के अंदर कोई चुंबक तो नहीं है.
2- सोहैल अब्बास (Sohail Abbas)
पाकिस्तानी फील्ड हॉकी खिलाड़ी सोहेल अब्बास (Sohail Abbas) को पाकिस्तान की जीनियस क्रिएशन माना जाता है. इसके अलावा, प्रशंसक उन्हें सर्वकालिक महान फील्ड हॉकी खिलाड़ियों (Best Hockey Player Field) में से एक मानते हैं. वह आधुनिक फील्ड हॉकी में सर्वोच्च स्कोरर भी हैं. सोहेल इतिहास के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने 300 गोल का लक्ष्य हासिल किया है.
वह अंतरराष्ट्रीय हॉकी इतिहास (International Hockey History) में सबसे तेज 100 गोल और 200 गोल करने वाले खिलाड़ी हैं. सोहेल को उनकी 65% ड्रैग-फ्लिक रूपांतरण दर के लिए जाना जाता है. साल 1999 में एक कैलेंडर ईयर में ही 60 गोल करने का रिकॉर्ड भी इनके पास है.
दिलचस्प बात यह है कि वह साल 2004 में अपने 59 गोलों के साथ अपना ही 1999 में 60 गोल वाला रिकॉर्ड तोड़ने के करीब पहुंच गए थे. वह इतिहास में 21 हैट्रिक और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय खेलों में डबल हैट्रिक बनाने वाले एकमात्र फील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं. आपको बता दें कि सोहैल अब्बास तीन विश्व कप में 16 गोल करने वाले पाकिस्तान (Pakistan Best Hockey Player) के शीर्ष स्कोरर भी हैं.
3 – रिक चार्ल्सवर्थ (Ric Charlesworth)
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई फील्ड हॉकी खिलाड़ी (Australian Field Hockey Player) और कोच रिक चार्ल्सवर्थ (Ric Charlesworth) को फील्ड हॉकी में उनके अद्भुत योगदान के लिए 1984 में एडवांस ऑस्ट्रेलिया अवार्ड मिला था. वह ऑस्ट्रेलियाई टीम के अग्रणी सदस्य थे और उन्होंने पांच ओलंपिक्स खेलों (Olympic Games) में प्रतिनिधित्व किया था. और उनमें से, उन्होंने 1972 से 1988 तक कप्तान के रूप में दो बार खेला था.
रिक ने 1986 में लंदन में विश्व हॉकी कप (London Hockey Worldcup) में जीत के लिए अपनी राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व किया था। उन्हें रिकॉर्ड तीन बार वेस्टर्न ऑस्ट्रेलियन स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर चुना गया था. उन्हें 2001 में वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया सिटीजन ऑफ़ द ईयर अवार्ड से भी नवाजा गया था. रिक को 1987 में ऑस्ट्रेलियन हॉकी हॉल ऑफ़ फ़ेम में भी शामिल किया गया था.
और इस सम्मान के साथ ही वह यह सम्मान हासिल करने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए. उन्हें 1995 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में हॉल ऑफ चैंपियंस में भी शामिल किया गया था. उन्हें 2000 में अपने अद्भुत करियर के लिए ऑस्ट्रेलियाई खेल पदक से सम्मानित किया गया. अगर हॉकी के इतिहास की बात की जाये तो रिक चार्ल्सवर्थ अब तक के शीर्ष 10 महानतम फील्ड हॉकी खिलाड़ियों (Top 10 Field Hockey Players List) की सूची में शामिल हैं.
4- धनराज पिल्लै (Dhanraj Pillay)
फील्ड हॉकी खिलाड़ी और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै (Dhanraj Pillay) अंतरराष्ट्रीय हॉकी में एक बड़ा बड़ा नाम है.
पूर्व भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी (Hockey Player Field) धनराज पिल्लै सिडनी में 1994 विश्व कप के लिए विश्व ग्यारह में नामित होने वाले भारत के एकमात्र खिलाड़ी हैं. वह 1992 से 2004 तक चार ओलंपिक, 1990 से 2002 तक चार विश्व कप, 1995 से 2003 तक चार चैंपियंस ट्रॉफी और 1990 से 2002 तक चार एशियाई खेलों में भाग लेने वाले फील्ड हॉकी इतिहास के एकमात्र खिलाड़ी हैं.
पिल्लै ने भारतीय हॉकी राष्ट्रीय टीम (Indian Hockey National Team) के कप्तान के रूप में भी काम किया और 1998 के एशियाई खेलों और 2003 एशिया कप में स्वर्ण पदक भी जीते. उन्होंने 339 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 170 से अधिक गोल किए और बैंकॉक एशियाई खेलों में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी भी बने.
उन्हें भारत सरकार द्वारा साल 2000 में राजीव गांधी खेल रत्न (Rajiv Gandhi Khel Ratna) पुरस्कार और उसी साल यानी 2000 में प्रमुख भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री (Padma Shri Award) से भी सम्मानित किया गया था.
5- टाइस क्रूज़ (Ties Kruize)
पूर्व डच फील्ड हॉकी खिलाड़ी टाइस क्रूज (Field Hockey Player Ties Kruize) को व्यापक रूप से फील्ड हॉकी के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ पेनल्टी कार्नर (Best Penality Corner Hockey Player in History) लेने वाला फील्ड हॉकी खिलाड़ी माना जाता है. उन्होंने 1973 में एम्स्टेलवीन हॉकी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता था. इसके बाद क्रूज़ ने 1978 ब्यूनस आयर्स हॉकी विश्व कप में रजत पदक जीता.
उन्होंने यूरोहॉकी नेशंस चैंपियनशिप में डच राष्ट्रीय टीम के एक टीम सदस्य के रूप में भाग लिया और 1983 एम्स्टडैम में स्वर्ण पदक और 1974 मैड्रिड में कांस्य पदक जीता. क्रूज़ ने हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में हॉकी स्टिक के साथ अपना अद्भुत कौशल भी दिखाया और 1981 कराची और 1982 एम्सटेलवीन में लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीता.
राष्ट्रीय टीम के अलावा, वह एचसी क्लेन ज़्विटसरलैंड क्लब के एक अग्रणी सदस्य भी थे और 1977 से 1984 तक लगातार आठ बार डच खिताब जीते थे.
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