श्रीलंका के विश्व कप विजेता पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा को द्वीप राष्ट्र के नकद समृद्ध क्रिकेट बोर्ड के नियंत्रण पर लंबे समय से चल रहे विवाद के मानहानि मामले को लेकर अब $70,000 का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
इससे पहले रणतुंगा श्रीलंका क्रिकेट के चार बार के अध्यक्ष थिलंगा सुमतिपाला के साथ एक कड़वी लड़ाई में फंस गए हैं, और इस विवाद में नियमित रूप से भ्रष्टाचार और मैच फिक्सिंग के आरोप लगाए हैं।
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अर्जुन रणतुंगा को लेकर सिविल कोर्ट का फैसला
पुराने मामले को लेकर गुरुवार को सिविल कोर्ट का फैसला जो 2003 की एक घटना का है, जब रणतुंगा ने कहा था कि उनके कट्टर विरोधी भ्रष्ट थे और उस समय खेल के राष्ट्रीय शिखर निकाय को चलाने के लिए अयोग्य थे।
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कोर्ट के फैसले पर सुमतिपाला का बयान
सिविल कोर्ट के फैसले को लेकर सुमतिपाला ने शुक्रवार को कहा, “मेरा परिवार और दोस्त और मुझ पर विश्वास करने वाले लोग बहुत खुश और राहत महसूस कर रहे हैं।”
साथ ही उन्होने कहा कि “काश मेरी मां इस अदालत के आदेश को सुनने के लिए अभी भी जीवित होती। न्याय में देरी न्याय से इनकार है। वैसे भी, यह पहले से कहीं बेहतर है।”
70,000 डॉलर के भुगतान का आदेश
अदालत के एक अधिकारी ने खुलासा किया कि रणतुंगा को टिप्पणी के लिए 25 मिलियन रुपये (70,000 डॉलर) का भुगतान करने का आदेश दिया गया था।
रणतुंगा ने 1996 के विश्व कप की जीत के लिए श्रीलंका की कप्तानी की और अगले ही विश्व कप 1999 में खिताब का बचाव करने में विफल रहने के बाद उन्होनें कप्तानी का पद छोड़ दिया।
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कप्तानी छोड़ने के बाद हुआ था विवाद
कप्तानी छोड़ने के बाद से ही उन्होंने क्रिकेट बोर्ड के नियंत्रण के लिए सुमतिपाला के साथ विवाद शुरु कर दिया था,
श्रीलंका की राष्ट्रीय टीम वर्षों से भ्रष्टाचार के आरोपों और आपसी लड़ाई से घिरी हुई है। पूर्व खेल मंत्री हरिन फर्नांडो ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) श्रीलंका को अपने दायरे में दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक मानता है।
2011 विश्व कप फाइनल में हार के बाद
रतनुंगा ने अतीत में 2011 विश्व कप फाइनल में भारत से हारने वाली श्रीलंकाई टीम की ईमानदारी पर संदेह जताया था, लेकिन खिलाड़ियों पर सीधे आरोप लगाने से बचने की कोशिश की थी।
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