Argentina और उनके फुटबॉल का इतिहास,19 वी शताब्दी मे argentina का फुटबॉल के साथ जो संबध था वो बहुत ही अतुल्य था। पेहली बार जब अमरीकी संगठन फुटबॉल मे अपनी नई पहचान बनाने के लिए कोपा अमेरिका का निर्वहन किया था। जिसके पहले होस्ट बने थे साउथ अमरीकी टीम Argentina। पर वो टूर्नामेंट वे नही जीत पाए थे। पर जो छाप उन्होंने छोड़ी थी वो आगे की पीढ़ी के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुई।
ओलंपिक मे Argentina कि शुरुआत
पर कोपा अमेरिका उनके हाथ लगने मे ज्यादा समय नही लगा। 1921 मे कोपा अमेरिका के विजय अभियांन के बाद उन्होंने 3 और टाइटल अपने नाम किए थे। ये तो तय था कि यूरोप कि कही बड़े देशो ये टीम बहुत अच्छा कर सकती है। जब उन्होंने 1925 मे जहाँ argentina टीम ने 19 मे 16 मैचेस् जीते थे। फुटबॉल के लिए उस समय वर्ल्ड कप बनने से पहले ओलंपिक खेलों को बहुत बड़ा दर्जा दिया जाता था। नामी इंटरनेशनल स्टेडियम मे ओलंपिक गेमो का आयोजन किया जाता था। Argentina ने अपना पेहला ओलंपिक फुटबॉल खेल 1928 मे खेला था। जहाँ उन्होंने 23-5 से टूर्नामेंट मे जबरदस्त प्रदर्शन देकर सबको चौंका दिया था। फाइनल मे उन्होंने अपने पुराने प्रतिद्वंदी उरुग्वे का सामना किया था। जो 1-1 कि बराबरी मे समाप्त हुआ था। उसके तीन दिन बाद दुबारा रिमैच रखा गया। जिसे उरुग्वे ने 2-1 से जीत लिया था और ओलंपिक मे अपनी छाप छोड़ दी थी। आप सोच रहे होंगे कि फाइनल मुकाबला बराबरी मे खत्म हो तो पेनाल्टी शूट आउट होता है। उन दिनों अगर मुकाबला बराबरी पर खत्म हो तो रेसेर्वे डे पर मैच् रखकर निर्णय लिया जाता था।
Argentina का पहले वर्ल्ड कप का अनुभव
पेहला फुटबॉल वर्ल्ड कप जो उरुग्वे मे आयोजित किया गया था। उसमे Argentina भी 13 देशो मे से एक थी। उन्होंने अपने ग्रुप स्टेज के मुकाबले मे चिली, फ़्रांस, मेक्सिको को हराकर और सेमी फाइनल मे अमेरिका को 6-1 से हराकर फाइनल मे उरुग्वे का सामना करने आई थी। वही टीम जिन्होंने Argentina के पहले ओलंपिक फाइनल मे उन्हे हराया था।
ये Argentina फुटबॉल के प्रेमियो को unki तरफ खीचने का एक बहुत बड़ा मौका सा बन गया था। जहाँ 10000 अर्जेंटिनि फुटबॉल प्रेमी मोंटेवीडियो गए थे अपनी टीम का समर्थन करने के लिए। उरुग्वे ने बले ही शुरुआत मे लीड ले ली थी। पर कार्लोस Peucelle और गिलर्मो Stábile के गोल ने argentina के लिए नया वरदान दिया था। पर इतनी मेहनत भी उनकी बेकार ही गई और उन्हे वो फाइनल हारना पड़ा और उरुग्वे फुटबॉल वर्ल्ड कप के पहले एडिसन् के विजयता बने। पर argentina के पास से सुपर पॉवर का दर्जा वो नही ले पाए।
1934 और 1962 के बीच नेशनल टीम या तो कमजोर प्रदर्शन कर रही थी या विश्व कप में बिल्कुल भी भाग नहीं ले रही थी। यह इस तथ्य के लिए बहुत कुछ था कि 1962 तक अर्जेंटीना ने प्रोफारेशनल खिलाड़ियों को नेशनल टीम में इस्तेमाल नहीं किया गया था। जो स्क्वार्ड दूसरे वर्ल्ड कप इटली मे खिलाई गई थी, वो बहुत ही कमज़ोर थी, और टूर्नामेंट के पहले मैच् मे ही बाहर हो गई थी, स्वीडें के हाथो हारने के बाद।
1934 मे argentina ने फुटबॉल संबादित् सभी जगहो से अपना नाम वापस ले लिया था, कुछ राजनीति मतभेद के कारण फीफा से उन्होंने मु फेर लिया था।1958 की टीम दक्षिण अमेरिकी चैंपियन थी, लेकिन दुर्भाग्य से, इसे इटली खरीदारों द्वारा हैश खा गई, जिन्होंने उमर सिवोरी, एंजेलिलो और जुआन माशियो जैसे खिलाड़ियों को यूरोप में आकर्षित किया। उसके ऊपर, रिवर प्लेट्स के रॉबर्टो ज़ारेट चोटिल हो गए।
Argentina ने साउथ अमेरिका फुटबॉल को कही सालों तक डोमिनेट किया हुआ था। 1958 वर्ल्ड कप मे argentina ने फिर भाग लिया। इस बार भी उनका प्रदर्शन बुरा ही गया था जहाँ उन्होंने अपने ग्रुप टेबल मे आखरी पायदां प्राप्त कर वर्ल्ड कप से बाहर हो गई थी। पर कोपा अमेरिका मे उनका प्रदर्शन बहुत ही अतुल्य था।
Argentina का पुनर्णिर्मां
1958 कि वर्ल्ड कप मे पहले ही राउंड मे बाहर होने पर argentina ने कोचिंग स्टाफ मे बदलाव कर दिए।विक्टोरियो स्पिनेट्टो को मुख्य कोच के रूप में स्थापित किया गया था, और लगभग पूरी तरह से एक नई खिलाड़ी टीम का निर्माण किया गया था। एक बार फिर argentina ने टॉप का प्रदर्शन किया।argentina ने जर्मनी में 1974 के विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया। कुछ आधे-अधूरे खेल के बाद, वे ग्रुप 4 से पोलैंड के साथ टूर्नामेंट में दूसरे दौर में आगे बढ़ेंगे। वर्ल्ड कप के इस संस्करण तक, कही नए बदलाव इस वर्ल्ड कप मे आ चुके थे और नॉकआउट चरण से पहले एक दूसरा समूह चरण था। अर्जेंटीना अपने समूह में नीदरलैंड, ब्राजील और पूर्वी जर्मनी के साथ कोई भी गेम जीतने में सफल नहीं हुआ।
1978 का वर्ल्ड कप और माराडोना युग
Argentina 1978 के वर्ल्ड कप के लिए मेजबान के रूप में खड़ा था। स्टेडियमों का निर्माण और उनके जगह का निर्णय पर वे उस समय से बहुत पीछे थे, लेकिन समय के साथ प्रक्रिया में तेजी आई और टूर्नामेंट शुरू होने के समय तैयार हो गया। इसने अर्जेंटीना में विश्व कप को सबसे विवाद पूर्ण बातो मे रखे रखा जैसे क़तर मे इस साल हो रहा है। लेकिन इस वजह से घरेलू राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को एक नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ा। फिर भी, यह argentina फुटबॉल नेशनल टीम के लिए अब तक की सबसे बड़ी सफलता साबित ये होती रही। क्यूँकि तब तक उन्होंने अपना पहला वर्ल्ड कप जीत लिया था।
फिर argentina ने अपने फुटबॉल समय का वो युग देखा 1982 के एक और खराब प्रदर्शन के बाद। सभी ने argentina से मानो उम्मीद सी छोड़ दी थी । फिर एक नाम उसके बाद जो चमका argentina के लिए वो था मारोडोना जिन्होंने 1986 के वर्ल्ड कप मे तेहल्का मचा दिया था, माराडोना ने प्रभावशाली स्तर पर प्रदर्शन किया था, लेकिन उरुग्वे, इंग्लैंड और बेल्जियम के खिलाफ होने वाले मैचों में वह अपने खेल को और भी ऊंचा ले जाएंगे ये किसी ने कल्पना भी नही कि थी। फाइनल में, उनका योगदान उतना स्पष्ट नहीं था। उनके प्रभाव को बेअसर करने के लिए पश्चिम जर्मनी ने बहुत अच्छा काम किया था। पर जयादा देर वो उन्हे कामोश रख भी नही पाए। और इसका परिणाम argentina ने वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास मे अपना नाम बना लिया था।
इस नए युग मे argentina ने भी अपनी छाप छोड़ी है, वर्ल्ड के दौर मे argentina वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल मे पहुँच चुके है। उनके महंतम् खिलाडी मेस्सी के लिए आखरी वर्ल्ड कप, फुटबॉल प्रेमियो कि अब यही आशा है कि मेस्सी को वर्ल्ड कप का ताज मिले और argentina को उनका तीसरा वर्ल्ड कप मिलने के आसार बहुत है।