15वें हॉकी पुरुष विश्वकप का आगाज हो चुका है. जिसमें भारत ने अपने पहले मैच में स्पेन को 2-0 से हराते हुए जीत दर्ज की थी. इस मैच में भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान अमित रोहिदास ने 12वें मिनट में गोल दागा था. इसी के साथ उन्होंने भारत को 1-0 से बढ़त हासिल की थी. अमित के बारे में बात करें तो इन्होने राउरकेला के पानपोष स्थित हॉकी एकेडमी से ही खेल की बारीकियां सीखी है. उनके भारतीय हॉकी टीम तक पहुंचने का सफर इतना आसा नहीं रहा था. उन्होंने अपने करियर के लिए काफी संघर्ष किया है. आइए कुछ उनके बारे में जानकारी बताते हैं.
अमित रोहिदास फेंकी हुई स्टिक से करते थे प्रैक्टिस
अमित ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, ‘हमारे माता-पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है. हम दो भाई और पांच बहने हैं. दोनों ने मजदूरी कर हमें पाला है. हमें कभी भी खाने की कमी नहीं होने दी थी. दोनों ने काफी संघर्ष किया है.’ अमित के पास हॉकी स्टिक भी नहीं होती थी कि वह प्रैक्टिस कर सके. जो दूसरे फेक देते थे उससे ही अब अभ्यास किया करते थे.
बता दें कि अमित पहले गोलकीपर बनना चाहते थे. लेकिन उनका खेल देख साल 2004 में पानसोल स्थित हॉकी एकेडमी के हॉस्टल में उनका चयन हुआ था. वहां के कोच ने अमित की प्रतिभा देखी और गोलकीपिंग छोड़ने को कहा था. और वहीं डिफेन्स पर ध्यान देने को कहा था. इसी फैसले ने उनकी किस्मत बदल कर रख दी और आज वह एक शानदार डिफेंडर की भूमिका में नजर आते हैं. साथ ही वह मिडफील्ड और फॉरवर्ड खेलने वाले खिलाड़ी भी है. साथ ही वह भारतीय टीम के उपकप्तान भी हैं.
ओलम्पिक जीतने वाली टीम के अमित सदस्य भी रह चुके हैं. उनके हॉकी के सब ही दीवाने है. आशा है इस वर्ल्डकप में वह शानदार प्रदर्शन कर टीम को ख़िताब दिलाने में मदद करेंगे.