खुदनपुरी की खिलाड़ी संजू की संघर्षभरी कहानी
वहां जाकर उन्होंने अपने पापा और मां का सपना पूरा किया था. बेटी संजू ने इतने मेडल जीते हैं कि अब घर में उनको रखने की जगह भी कम रह गई है. मनीषा के पति की मौत जब हुई थी तब उनकी बेटी 11 साल कि थी. मां ने मजदूरी कर संजू को पढ़ाया और इस काबिल बनाया कि वह अपने सपनों को पूरा कर के. इसके बाद उन्होंने बताया कि संजू हॉकी प्लेयर बनना चाहती है.
इसके बाद संजू ने संघर्ष कर खेलना जारी रखा था. और इस मुकाम को हासिल किया था. खिलाड़ी के लगन और मेहनत को देखते हुए राज्य स्तरीय टीम में इनका चयन हुआ है. साथ ही हॉकी ही नहीं और अन्य खेलों में भी यहाँ की बालिकाओं ने कमाल कर दिखाया है और राज्य स्तर पर गाँव का नाम रोशन किया है. खिलाड़ियों ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया था. वहीं खिलाड़ी ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया था कि वह क्षेत्र में काफी चर्चित हुई थी.
खुदनपुरी गांव की रहने वाली बेटियों ने हॉकी में अपना नाम बनाया है. उन्होंने बिना खेल सुविधाओं के भी हॉकी में अपने सपने को पूरा किया है. अलवर जिले के खुदनपुरी की रहने वाली इन 35 बेटियों का स्टेट लेवल पर चयन हुआ है. इसमें अंडर 14, अंडर 17 और अंडर 19 में स्टेट लेवे पर बालिकाएं चयनित हुई है. इतना ही नहीं स्टेट लेवल पर दो बालकों का भी चयन हुआ है.