भारतीय हॉकी टीम के बेहतरीन खिलाड़ी और मिडफील्डर आकाशदीप सिंह को गोल मशीन के नाम से भी जाना जाता है. 2 दिसम्बर 1994 को पंजाब के तरनतारन जिले के वेरोवाल में जन्मे आकाशदीप सिंह बचपन से ही हॉकी में रूचि रखते थे. आकाशदीप सिंह शुरुआत में गुरु अंगद देव स्पोर्ट्स क्लब के लिए खेलते थे. इसके बाद माता-पिता ने 12 साल की उम्र में लुधियाना में स्थित पीएयू हॉकी एकेडमी में एडमिशन दिलाया था.
गोल मशीन आकाशदीप ने जीता था जूनियर एशिया कप
वहीं इसके बाद आकाशदीप सिंह ने जालंधर के सुरजीत हॉकी एकेडमी चले गए और वहां 4 साल तक ट्रेनिंग ली थी. इसके बाद साल 2011 में आकाशदीप सिंह को भारतीय जूनियर टीम में जगह मिली और कप्तान भी बनाया गया था. उनके नेतृत्व में साल 2011 में मलेशिया आयोजित जूनियर एशिया कप में भारत ने कांस्य पदक जीता था.
इसके एक साल बाद इन्होने 2012 चैंपियंस ट्रॉफी में सीनियर टीम में डेब्यू किया था. इन होनहार भारतीय खिलाड़ी ने उस वर्ष जकार्ता में आयोजित एशियाई खेल 2018 में 13 गोल दागे और टूर्नामेंट के संयुक्त दूसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहें थे. प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख पाने की वजह से उन्हें टोक्यो ओलम्पिक 2020 की टीम में जगह नहीं मिली थी.
अब हाल ही में हॉकी विश्वकप 2023 के लिए भारत की 18 सदस्यीय टीम में जगह मिली है. वह 200 से ज्यादा अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले तीसरे खिलाड़ी हैं. उनके अलावा श्रीजेश और मनप्रीत ने ही इतने अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं. साथ ही उन्होंने 80 से ज्यादा गोल दागे हैं. इतना ही नहीं आकाशदीप सिंह ने साल 2018 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में मिडफील्ड में उनके शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया था. इसके अलावा भी साल 2020 में खेल के क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा सम्मान अर्जुन अवार्ड देकर भी सम्मानित किया जा चुका है.