देश में जब भी गर्व की बात आती है देशवासी उस क्षण को कभी नहीं भूलते है. ऐसा ही एक क्षण हॉकी इतिहास में है जो किसी भी हॉकी प्रेमी के दिल से नहीं निकलता है. साल 1975 के वर्ल्ड कप में भारत ने चिर प्रतिद्वंदी पकिस्तान को हराकर पहली बार ख़िताब जीता था वह क्षण ना तो भारत का कोई वासी भूल सकता है ना कोई खिलाड़ी भूल सकता है.
1975 वर्ल्ड कप में अशोक ने किया था विनिंग गोल
ऐसे में उस समय के खिलाड़ी रहे अशोक ध्यानचंद जिन्होंने फाइनल मैच में विनिंग गोल भी किया था. उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा कि उस समय सिर्फ एक रेडियो होता था जो पल पल की खबरे देता था. पूरा परिवार उसे साँसे थाम कर सुनता था. अशोक ध्यानचंद कहते हैं कि वह एक अलग अनुभूति थी. इस बात को अब 48 साल हो चुके है और उस विश्वकप में इंडिया टीम मलेशिया खेलने गई थी. तब मेरे पास मौका था अपने भारत का मान बढ़ाने का/ हॉकी का पहला वर्ल्ड कप 1971 में खेला गा था. वह दौर हॉकी के लिए स्वर्ण युग के जैसा था.
उन्होंने फाइनल मैच कि बात की और कहा कि मैं पाकिस्तानी खिलाड़ियों को परास्त कर गोल कर पाया था. जब मैं घर पहुंचा तो माता और मेरे पिता सामने खड़े थे. उन्होंने मेरी पीठ थपथपाई जो आज तक मैं नहीं भूल सकता हूं. वहीं जब टीम मलेशिया से वर्ल्ड कप जीतकर वापिस लौटी तो उन्हें रोक दिया गया था. वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उस सम काफी कीमती थी. उस समय ट्राफी की कीमत डेढ़ लाख से ज्यादा थी. उस समय हमें एअरपोर्ट पर चार घंटे इन्तजार करना पड़ा था. फिर होम मिनिस्ट्री इ फ़ोन आया तो हम वहां से निकले थे.
इसके बाद उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंगले पर पूरी टीम को बुलाया था और वहां टी पार्टी हुई थी. सारे खिलाड़ियों उन्होंने बात की थी और फोटो खिंचवाई थी.