हॉकी विश्वकप का आगाज होने में कुछ ही दिन का समय बचा है. ऐसे में FIH ने अपननी वेबसाइट पर पुरुषों के हॉकी विश्वकप का इतिहास जारी किया है. अब 20वीं शताब्दी में ओलम्पिक खेलों में हॉकी का महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है. जहां साल 1908 में लन्दन में पहली बार हॉकी को लोगों से परिचित कराया गया था उसके बाद से अब तक हॉकी का प्रसार काफी हो चुका है. विश्वकप के पहले सीजन का आगाज साल 1971 में हुआ था.
जानिए हॉकी विश्वकप के इतिहास के बारे में
हॉकी की लोकप्रियता 60 और 70 के दशक में ही बढ़ने लगी थी. खासकर यूरोपीय देशों में इसका प्रसार काफी जोरों-शोरों से था. इसके बाद से ही एशियाई टीमों के लिए शानदार घड़ी आई जिसमें उन्हें हॉकी के खेल को ना सिर्फ एशिया में बल्कि और भी देशों की धरती पर खेलने का मौका मिलने लगा.
हॉकी की बढ़ती लोकप्रियता और एशियाई देशों के बाहर के भी हॉकी का प्रसार देखते हुए सभी देशों ने मिलकर हॉकी के वर्ल्डकप की अवधारणा को जन्म दिया. साल 1969 में अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन काउंसिल की बैठक में पाकिस्तान और भारत ने संयुक्त रूप से इस मुद्दें को उठाया. वर्ल्डकप से पहले हॉकी का सबसे बड़ा टूर्नामेंट बस ओलम्पिक ही था. साल 1971 में पहली बार हॉकी के विश्वकप का आयोजन किया गया था.
जिसमें पकिस्तान पहली बार इस विश्वकप का विजेता बना था. पहले विश्वकप के फाइनल में पाकिस्तान ने स्पेन को 1-0 से हराया था. पाकिस्तान ने आगे विश्वकप में 3 और स्वर्ण पदक जीते. इसके बाद वह पुरुष हॉकी विश्वकप में सबसे सफल टीमों में शामिल हुए थे. वहीं ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड ने भी तीन-तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं. जबकि जर्मनी ने दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं.
साथ ही भारत इस टूर्नामेंट में अभी तक एक ही स्वर्ण पदक अपने नाम कर पाया है. भारत ने एकमात्र स्वर्ण पदक साल 1975 में जीता था. वहीं बेल्जियम ने भी एक बार स्वर्ण पदक जीता है. पिछले विश्वकप में साल 2018 में उन्होंने विश्वकप अपने नाम किया था.