भारत का सबसे पारम्परिक खेल कबड्डी आज विश्व में अपनी पहचान बना रहा है. ऐसे में खेल को लोकप्रिय बनाने का काम प्रो कबड्डी लीग ने भी किया है. जिसमें अब भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के खिलाड़ी भी शामिल हो रहे हैं. भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में कबड्डी का नाम भी शामिल हो चुका है. कुछ सालों में यह खेल गांवों में ही नहीं शहरों में भी लोकप्रिय हुआ है. यह खेल एशियाई खेलों में और ओलम्पिक खेलों में एक आकर्षक खेल बनकर उभरा है. साथ ही इसमें शारीरिक शक्ति, चपलता और रणनीति का काम भी होता है.
एशियाई खेलों और ओलम्पिक में भी कबड्डी ने जमाया सिक्का
बता दें यह खेल करीब चार हजार साल पुराना माना जाता है. इस खेलो को बर्लिन के ओलम्पिक में शामिल किया गया था. यह ओलम्पिक साल 1936 में खेला गया था. तभी कबड्डी के खेल को वहां मंजूरी मिली थी. इस खेल को जल्द ही एशिया में भी लोकप्रियता मिली थी. इसे साल 1951 और 1982 में एशियाई खेलों में एक प्रदर्शनी के खेल के रूप में शामिल किया गया था.
इसके बाद साल 1990 में चीन में हुए एशियाई खेलों में कबड्डी को स्थाई रूप से शामिल किया गया था. इसके बाद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी के खेल को काफी ख्याति मिलने लगी थी. इसके बाद एशियाई खेलों में महिला कबड्डी का प्रचलन भी देखा जाने लगा था. लेकिन इसे शुरू करने में काफी साल लगे थे. महिला कबड्डी की शुरुआत एशियाई खेलों में साल 2010 में हुई थी.
इसके साथ ही कतर के दोहा में हुए एशियाई खेलों में राउंड रॉबिन लीग के बाद एक नॉकआउट राउंड शुरू किया गया था. लीग स्टेज शीर्ष दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुकाबला हुआ था. और तीसरे और चौथे स्थान पर रहने वाले टीमों के बीच कांस्य पदक के लिए संघर्ष हुआ था.
भारत की टीम विश्वस्तर पर हमेशा कबड्डी के खेल में अव्वल रही है. इस खेल में विश्वकप में भी शानदार प्रदर्शन कर भारत ने अपने झंडे गाड़े है.
