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हॉकी की दुनिया में जादूगर के नाम से मशहूर हुए ध्यानचंद आज हर घर में लोकप्रिय है. उनकी ख्याति देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी है. उन्होंने देश को कई ओलम्पिक पदक जीताए है और कई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व भी किया है. उनका नाम हॉकी के महान हॉकी खिलाड़ियों में शुमार होता है. हॉकी और मेजर ध्यानचंद एक दूसरे के पूरक ही है. ध्यानचंद को हॉकी के प्रति इतना जूनून था कि एक बार हॉलैंड के साथ फाइनल मुकाबले में103 डिग्री बुखार होने के बावजूद वो खेल खेला और भारत को विजेता बनाया.
103 डिग्री बुखार में भी खेलने उतरे थे ध्यानचंद
ऐसे कई किस्से है जिनसे पता चलता है की ध्यानचंद को यूंही भारत का सर्वश्रेष्ठ हॉकी प्लेयर नहीं बनाया जाता है. ध्यानचंद को हॉकी हो चाहे सेना की नौकरी उन्होंने हर तरीके की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था. 1922 में ध्यानचंद बतौर सैनिक सेना में भर्ती हुए थे और मेजर बनकर सेना से रिटायर्ड हुए थे. हॉकी के खिलाड़ी के रूप में हिटलर भी उनका मुरीद था.
तभी जर्मनी के एक खिलाड़ी ने ध्यानचंद को जोरदार धक्का मारा जिससे उनके दांत तक टूट गए थे. फिर भी उन्होंने अपने दर्द की परवाह किए बिना खेल खेलते रहे. उस मैच के दौरान इतना ही नहीं उन्होंने फिसलने के डर से जूते भी उतार दिए थे और उनका साथ देते हुए उनके भाई रूप सिंह ने भी जूते उतार दिए थे ताकि फिसले नहीं. इसके बाद रूप सिंह ने और ध्यानचंद ने एक के बाद एक गोल कर भारत को जर्मनी के ऊपर जीत दर्ज कराई थी.
मेजर ध्यानचंद हॉकी के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम है जिसे भूल पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल ही है. ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत ने लगातार तीन बार भारत को स्वर्ण पदक जीताया था. भारत में मेजर ध्यानचंद के नाम से कई स्टेडियम और जगहों के नाम है. वहीं उनके नाम से खेल का सर्वोच्च सम्मान भी खिलाड़ियों को दिया जाता है. वहीं उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में सरकार ने इस दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. जर्मनी के खिलाफ एक मैच में भारत का पलड़ा भारी था.